राजा राममोहन राय (1774-1833) RAJA RAMMOHAN ROY (A GREAT INDIAN SOCIAL REFORMMER)

Table of Contents

 राजा राममोहन राय (1774-1833)
राजा राममोहन राय का जन्म सन 1774 ईस्वी में राधानगर बंगाल में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था|
बंगाल में प्रारंभ हुए सुधार आंदोलन का नेतृत्व इनके द्वारा किए जाने के कारण इन्हें भारतीय पुनर्जागरण का जनक, आधुनिक भारत का निर्माता, नवजागरण का अग्रदूत, भारतीय राष्ट्रवाद का पैगंबर, अतीत और भविष्य के मध्य सेतु, प्रथम आधुनिक पुरुष तथा युग दूत, नवप्रभात का तारा, सुधार आंदोलनों का प्रवर्तक, भारतीय जागृति का जनक, भारतीय पत्रकारिता के अग्रदूत, कहा जाता है।
 राजा राममोहन राय
  • राजा राममोहन राय (1774-1833)
राजा राममोहन राय बचपन से ही बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। 15 वर्ष की अवस्था में इनका एक लेख प्रकाशित हुआ, जिसमें उनके द्वारा मूर्ति पूजा का विरोध किया गया था।
विद्रोही स्वभाव होने के कारण मूर्ति पूजा का विरोध करने पर इनका पिता से मतभेद हो गया तथा यह नेपाल चले गए। जहां इन्हें बौद्ध दर्शन का ज्ञान प्राप्त हुआ तथा हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म और इस्लाम धर्म के सिद्धांतों का परिचय प्राप्त हुआ।
एक सुधारवादी होने के कारण मानवीय के आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं सामाजिक समानता के सिद्धांत में विश्वास रखते थे। एकेश्वरवाद को सब धर्मों का मूल बताया। जिसे अपने पहले फारसी भाषा लिखे ग्रंथ तोहफत-उल-मुहदीन (एकेश्वरवादियों को उपहार) 1809 में प्रकाशित हुआ।
राजा राममोहन राय द्वारा प्रारंभ किए गए भारतीय पुनर्जागरण पर टिप्पणी करते हुए प्रोफ़ेसर जी. एन. सरकार ने कहा “यह एक गौरवमयी ऊषा का आरंभ था ऐसी ऊषा जैसी संसार में कहीं और देखने को नहीं मिली, एक वास्तविक पुनर्जागरण, जो यूरोपीय पुनर्जागरण जो कुस्तुनतुनिया के पतन के पश्चात आया उससे कहीं अधिक विस्तृत था, अधिक गहरा था, और अधिक क्रांतिकारी था।
1803 ईस्वी में पिता की मृत्यु के बाद राममोहन राय कंपनी की सेवा में नियुक्त किए गए और दिग्बी ने इन्हें अपना दीवान नियुक्त किया। इस पद पर इन्होंने 1814 ई. तक कार्य किया दिग्बी ने अंग्रेजी भाषा सिखाई और उनका परिचय उदारवादी और युक्तियुक्त विचारधारा से करवाया। इनके द्वारा विकसित की गई लेखन शैली की प्रशंसा में बेन्थम ने कहा था “इस शैली के साथ एक हिंदू का नाम न जुड़ा होता तो हम यह समझते कि यह एक बहुत ही उच्च शिक्षित अंग्रेजी कलम से निकली है।”
और पढ़े :-भारत में क्रांतिकारी आन्दोलन(20वीं सदी )BEST FOR ALL EXAMS
राजा राममोहन राय द्वारा स्थापित संस्थाएं:-
आत्मीय सभा (1814)
वेदांत सोसाइटी (1816) कोलकाता यूनिटेरियन कमेटी (1821)
ब्रह्म सभा/ब्रह्म समाज (20 अगस्त 1828)
कोलकाता में हिंदू कॉलेज (1817)
वेदांत कॉलेज (1825)
राजा राममोहन राय द्वारा लिखित पुस्तकें, लेख, पत्रिकाएं:-
तोहफत- उल-मुहदीन (एकेश्वर वादियों को उपहार) (1809) प्रिसेप्टस ऑफ जीसस (1820) संवाद कौमुदी पत्रिका (1821) मीरात-उल-अखबार (1822) ब्रह्मनिकल मैगज़ीन (अंग्रेजी में) बंगाल हरकारू
राजा राममोहन राय के सामाजिक विचारों का वर्णन:-
राजा राममोहन राय विरोधी थे:-                                                              जाति प्रथा की कठोरता
अर्थहीन रीति-रिवाजों
समाज में व्याप्त बुराइयों
बहुदेववाद तथा मूर्ति पूजा का विरोध
बाल विवाह का विरोध
बहुपत्नी प्रथा व सती प्रथा का विरोध
धार्मिक पुस्तकों, पुरुषों एवं वस्तुओं की सर्वोच्चता में अविश्वास
छुआछूत, अंधविश्वास, जातिगत भेदभाव का विरोध                                               
राजा राममोहन राय समर्थक थे:-                                                               एकेश्वरवाद
स्त्रियों को संपत्ति का अधिकार                                                               स्त्रियों की शिक्षा
विधवा विवाह
आधुनिक पाश्चात्य शिक्षा
उच्च सेवाओं के भारतीयकरण तथा कार्यपालिका को न्यायपालिका से पृथक   होना। अंतरराष्ट्रीय, स्वतंत्रता, समानता एवं न्याय।
 

प्रश्न 1 :- राजा राममोहन राय के बचपन का नाम?
राम मोहन राय

प्रश्न 2:- राजा राममोहन राय का जन्म?
सन् 1774 राधानगर (बंगाल) ब्राह्मण परिवार में

प्रश्न 3:- राजा राममोहन राय की पुस्तकें?
तोहफत-उल-मुहदीन (एकेश्वरवाद यों को उपहार) (1809)
प्रीसेट्स ऑफ जीसस (1820) संवाद कौमुदी पत्रिका (1821) मीरात-उल-अखबार (1822) ब्रह्मनिकल मैगजीन (अंग्रेजी भाषा में)
बंगाल हरकारू

प्रश्न 4:- राजा राममोहन राय को कहा जाता था?
भारतीय पुनर्जागरण का जनक आधुनिक भारत का निर्माता नवजागरण का अग्रदूत
भारतीय राष्ट्रवाद का पैगंबर अतीत और भविष्य के मध्य सेतु प्रथम आधुनिक पुरुष तथा युगदूत
नवप्रभात का तारा
सुधार आंदोलन का प्रवर्तक भारतीय जागृति का जनक भारतीय पत्रकारिता के अग्रदूत

 प्रश्न 5:-राजा राममोहन राय ने किस समाज की स्थापना की?                               आत्मीय सभा (1814)
वेदांत सोसाइटी (1816) कोलकाता यूनिटी (1821)
ब्रह्म सभा बाद में ब्रह्म समाज (20 अगस्त 1828)

प्रश्न 6:- राजा राममोहन राय ने किस पत्रिका को प्रारंभ किया?                                 संवाद कौमुदी (1821)

प्रश्न 7:- राजा राममोहन राय की पुण्यतिथि/ मृत्यु?
1833 में ब्रिस्टल (इंग्लैंड) नामक स्थान पर।

प्रश्न 8:- राजा राममोहन राय ने किस का अंत किया?
सती प्रथा (1829 में) लॉर्ड विलियम बेंटिक ने एक कानून बनाकर सती प्रथा को गैरकानूनी घोषित कर दिया।
प्रश्न 9:- राजा राम मोहन राय को राजा की उपाधि कब दी गई?

1830 ईस्वी में मुगल सम्राट अकबर द्वितीय ने राजा की उपाधि प्रदान की।समुद्री मार्ग से इंग्लैंड जाने वाले प्रथम व्यक्ति थे इनको मुगल दरबार द्वारा इंग्लैंड भेजा गया था।

2 thoughts on “ राजा राममोहन राय (1774-1833) RAJA RAMMOHAN ROY (A GREAT INDIAN SOCIAL REFORMMER)”

Leave a Comment