हड़प्पा कालीन प्रमुख नगर
हड़प्पा संस्कृति का विस्तार उत्तर में माण्डा चिनाव नदी के तट पर जम्मू कश्मीर, दक्षिण में दैमाबाद गोदावरी नदी के तट पर, पश्चिम में सुत्कागेण्डोर दाश्क नदी के तट पर, पूर्व में आलमगीरपुर हिण्डन नदी के किनारे मेरठ उत्तर प्रदेश तक होने के प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
हड़प्पा कालीन प्रमुख नगरों में केवल 7 नगरों को ही नगर माना गया है वैसे देखा जाए तो लगभग 1500 स्थलों की खोज की जा चुकी है। सात नगर निम्नवत् हैं:-
हड़प्पा
पंजाब प्रांत (पाकिस्तान) के मांण्टगोमरी जिले में रावी नदी के बाएं तट पर स्थित है। •इसकी खोज भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक जान मार्शल के निर्देश पर 1921 ईस्वी में दयाराम साहनी द्वारा की गई।
•यह स्थल सिंधु घाटी सभ्यता का क्षेत्रफल की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा स्थल है यहां AB और F नाम के दो टीले हैं AB टीले पर दुर्ग बना है तथा दुर्ग के बाहरी टीले को F नाम दिया गया।
•F नाम के टीले पर अन्नागार, श्रमिक आवास और अनाज कूटने के लिए गोलाकार चबूतरो के साक्ष्य मिले हैं अर्थात इनसे यह स्पष्ट होता है कि यह जनसाधारण के निवास की जगह थी AB टीले पर दुर्ग होने से स्पष्ट होता है कि यहां प्रशासक वर्ग के व्यक्तियों का निवास स्थल था।
• हड़प्पा नगर क्षेत्र के दक्षिण में एक कब्रिस्तान मिला जिसे समाधि r37 नाम दिया गया।
•1934 ईस्वी में प्राप्त समाधि का नाम समाधि H रखा गया।
यहां से पत्थर से बनी लिंग योनि की संकेतात्मक मूर्ति, विशाल अन्नागार, मातृ देवी चित्र, सोने की मोहर, सवाधान पेटिका, गेहूं जौ के दाने, मृदभाण्ड उद्योग के साक्ष्य, 16 भठ्ठियां, धातु बनाने की एक मूषा मिली है जिससे ताम्रकार होने के साक्ष्य।
मोहनजोदड़ो
•यह स्थल लरकाना जिला सिंध प्रांत पाकिस्तान में सिंधु नदी के दाहिने तट पर स्थित था।
•यह स्थल हड़प्पा सभ्यता की राजधानी माना जाता है।
•यह क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा नगर था।
•मोहनजोदड़ो का अर्थ- प्रेतों का टीला तथा इसे सिन्धु बाग भी कहा जाता है।
•इस स्थल की खोज राखलदास बनर्जी ने 1922 में की थी।
•यहां सबसे महत्वपूर्ण वस्तु विशाल स्नानागार है जो 11.88 मीटर लंबा 7.01 मीटर चौड़ा और 2.43 मीटर गहरा था। फर्श पक्की ईंटों से निर्मित दोनों सिरों पर सीढ़ियां थी इसमें पानी भरने व निकालने का उचित प्रबंध किया गया था।
•विशाल स्नानागार का उपयोग धर्म अनुष्ठानों संबंधी स्नान के लिए होता था। इसको मार्शल द्वारा तत्कालीन विश्व का आश्चर्यजनक निर्माण बताया गया है।
•स्नानागार के अतिरिक्त निम्न वस्तुओं की प्राप्ति हुई:-
अन्नागार:
अन्नागार या अन्नकोठार इसकी लंबाई 45.71 मीटर तथा 15.23 मीटर चौड़ाई थी। व्हीलर के अनुसार मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत थी।
सभा भवन:
27×27 मीटर वर्गाकार दुर्ग के दक्षिण में अवस्थित भवन था।
पुरोहित आवास:
इसकी लंबाई 70× 23.77 मीटर स्नानागार के उत्तर पूर्व में स्थित भवन था। उक्त के अलावा खोचेदार नालियां, नर्तकी की मूर्ति (कांस्य) पशुपति मुहर, मकानों में खिड़कियां, मेसोपोटामिया की मोहर आदि।
•यहां के पूर्वी किले के HR क्षेत्र से कांसे की नर्तकी की मूर्ति तथा 21 मानव कंकाल प्राप्त हुए।
•पिग्गट महोदय द्वारा हड़प्पा तथा मोहनजोदड़ो को सिंधु सभ्यता की जुड़वा राजधानी कहा गया है।
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चन्हूदडो
•सिंधु नदी के बाएं तट पर स्थित इस नगर की खोज एन.जी. मजूमदार द्वारा 1931 ईस्वी में की गई।
•यहां झूंकर संस्कृति तथा झांगर संस्कृति का विकास हुआ।
•मनके बनाने का कारखाना यहीं से प्राप्त हुआ जिसकी खोज मैके द्वारा की गई।
•तीन घड़ियाल तथा दो मछलियों की बनी आकृति वाली मुद्रा यहीं से प्राप्त हुई।
•यहां वक्राकार ईटों का प्रयोग किया गया।
•कुत्ते द्वारा बिल्ली का पीछा करते पंजों के निशान ईटों पर प्राप्त हुए।
•लिपस्टिक, काजल, उस्तरा, कंघा आदि यहां से वस्तुएं प्राप्त हुई।
लोथल
•इस स्थल की खोज 1954 में एस. आर. राव द्वारा की गई जिसे लघु हड़प्पा या लघु मोहनजोदड़ो कहा जाता है।
•यह स्थल भोगवा नदी के किनारे अहमदाबाद (गुजरात) में स्थित था।
•लोथल से एक गोदीवाड़ा (पत्तन) का साक्ष्य प्राप्त हुआ।
•यहां से प्राप्त तीन युग्मित समाधियो से सती प्रथा का अनुमान लगाया जाता है।
•यहां से अग्निकुंड, मनके बनाने का कारखाना तथा 126 मीटर× 30 मीटर भवन प्राप्त हुआ। जिसे प्रशासनिक भवन की संज्ञा दी गई।
कालीबंगा
•कालीबंगा राजस्थान के गंगानगर जिले में घग्गर नदी के तट पर स्थित है।
•कालीबंगा का अर्थ- काली रंग की चूड़ियां।
•यह हड़प्पा सभ्यता का एकमात्र ऐसा नगर है जहां ऊपरी और निचले दोनों स्थान दुर्गीकृत हैं।
•इस नगर की खोज अमलानंद घोष द्वारा 1951 में की गई थी।
•यह नगर सरस्वती (आधुनिक नाम घग्घर) दृष्द्वती नदी के मध्य स्थित है।
•कालीबंगा में चूड़ी निर्माण उद्योग, शल्य चिकित्सा, गोलाकार कब्र, कांस्य उद्योग के प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
•यहां हल से जूते खेत का साक्ष्य सबसे महत्वपूर्ण है।
•यहां अंत्येष्टि संस्कार पूर्ण समाधिकरण, दाह संस्कार एवं आंशिक समाधिकरण द्वारा किए जाने के प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
•एक युगल समाधान प्राप्त तथा बच्चे की खोपड़ी में 6 छिद्र होना शल्य चिकित्सा होने का प्राचीनतम साक्ष्य माना गया है।
•यहां से आबादी के बड़े स्तर पर पलायन होने तथा भूकंप के प्राचीनतम साक्ष्य प्राप्त हुए।
बनवाली
•बनवाली भारत के हरियाणा के फतेहाबाद जिले में सरस्वती नदी के किनारे स्थित था।
इसकी खोज आर.एस. विष्ट द्वारा 1974 में की गई।
•यहां से बैलगाड़ी के पहिए, जौ का उपयोग, अग्नि वेदिका, मिट्टी के हल की प्रतिकृति तथा सीधी सड़क होने के साक्ष्य प्राप्त हुए।
•यहां अग्निवेदियों के साथ अर्द्ध वृत्ताकार ढांचे प्राप्त होने से कुछ विद्वान इन्हें मंदिर होने का प्रमाण की संभावना व्यक्त करते हैं।
धौलावीरा
•यह नगर गुजरात के कच्छ जिले के भचाऊ तालुका में लूनी- जोजरी लाइन के मध्य खादिर नामक द्वीप पर स्थित है।
•इसकी खोज श्री जे.पी. जोशी द्वारा सन 1967-68 में की गई।
•यहां से विशाल बांध उच्च जल प्रबंधन, मनहर -मनसर तालाब, दीवार पर लिखा सबसे बड़ा लेख आदि साक्ष्य प्राप्त हुए।
•यह भारत में स्थित सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा नगर था।
•सिंधु सभ्यता का एकमात्र क्रीडागार (स्टेडियम) तथा नेवले की पत्थर की मूर्ति यहां से प्राप्त हुई।
•यहां से पॉलीशदार श्वेत पाषाण के टुकड़े बड़ी मात्रा में मिले।