लघु संविधान किसे कहते है|स्वर्ण सिंह समिति|एस के धर आयोग

प्यारे दोस्तों आज हम इस लेख में संविधान के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों को पढ़ेंगे,जिसमें लघु संविधान किसे कहते हैं, स्वर्ण सिंह समिति, एस के धर आयोग, आदि विभिन्न प्रकार के महत्वपूर्ण तथ्यों को वन लाइनर के रूप में पढ़ेगे |

-42 वे  संविधान संशोधन अधिनियम (1976) को “मिनी कॉन्स्टिट्यूशन” कहा जाता है।

और पढ़े :-भारतीय संविधान (महत्वपूर्ण तथ्य )

-केशवानंद भारती मामला (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि (अनुच्छेद 368) संविधान संशोधन मूल ढांचे में कोई बदलाव की अनुमति नहीं।

-भारत राज्यों का संघ है।

-मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होने पर कोई व्यक्ति सीधे सर्वोच्च न्यायालय जा सकता है।

राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान (अनुच्छेद 20-21) में प्रदत्त अधिकारों को छोड़कर सभी मौलिक अधिकारों को स्थगित किया जा सकता है।

-मौलिक कर्तव्यों को स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश के द्वारा 42वें संविधान संशोधन 1976 में शामिल किया गया।

-2002 के 86 में संविधान संशोधन के माध्यम से एक नए मौलिक कर्तव्य को जोड़ा गया।
धर्मनिरपेक्ष शब्द 1976 के 42 वे संविधान संशोधन में जोड़ा गया।

-61 में संविधान संशोधन अधिनियम 1988 के तहत वर्ष 1989 में मतदान करने की उम्र 21 वर्ष से घटकर 18 वर्ष कर दी गई।

-भारतीय संविधान में कुछ स्वतंत्र निकायों की स्थापना भी करता है जैसे निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324) नियंत्रण एवं महालेखाकार (अनुच्छेद 148) संघ लोक सेवा आयोग एवं राज्य लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315)।

-वर्ष 1992 में 73 वे एवं 74 में संविधान संशोधन के तहत तीन स्तरीय स्थानीय सरकार का प्रावधान किया गया जो भारतीय संविधान के अलावा विश्व के किसी भी संविधान में नहीं है।

-73वें संविधान संशोधन 1992 के तहत पंचायत को संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई।

-97 वे संविधान संशोधन 2011 के द्वारा सरकारी समितियां को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।

-भारतीय संविधान की आलोचना में इसे उधार का संविधान, उधारी की एक बोरी, हांच-पांच  कॉन्स्टिट्यूशन, पैबंध गिरी आदि कहा गया।

-प्रस्तावना को सर्वप्रथम अमेरिकी संविधान में सम्मिलित किया गया था।

एन ए पालकी वाला ने प्रस्तावना को “संविधान का परिचय पत्र कहा”

-42वे  संविधान संशोधन अधिनियम 1976 में समाजवादी धर्मनिरपेक्ष और अखंडता शब्दों सम्मिलित किए गए।

-भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित सामाजिक आर्थिकराजनीतिक न्याय के तत्वों को 1917 की रूसी क्रांति से लिया गया है।

-भारतीय संविधान की प्रस्तावना में स्वतंत्रता क्षमता और बंधुत्व के आदर्शों को फ्रांस की क्रांति (1789- 1799) से लिया गया है।

-भारतीय संविधान की प्रस्तावना में समता के तीन आयाम शामिल है नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक।
बेरुबाडी संघ मामले (1960) में उच्चतम न्यायालय ने कहा की प्रस्तावना संविधान का भाग नहीं है।
केशवानंद भारती मामले (1973) में उच्चतम न्यायालय ने पुनः स्पष्ट किया की प्रस्तावना संविधान का आंतरिक हिस्सा है।

-भारत को “विभक्ति राज्यों का अभिभाज्य संघ” कहा गया है।

-अमेरिका को “अविभाज्य राज्यों का अभिभाज्य संघ” कहा गया है।

-संविधान संसद को यह अधिकार प्रदान करता है, कि वह नए राज्य बनाने, नाम परिवर्तन, सीमा परिवर्तन करने में राज्यों की अनुमति की आवश्यकता नहीं है| अर्थात यह साधारण बहुमत और साधारण विधायी प्रक्रिया  के द्वारा पारित किया जा सकता है| अर्थात या प्रक्रिया अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन नहीं माना जाएगा।

-भारतीय क्षेत्र के अन्य देश को देने में अनुच्छेद 368 में संशोधन विशेष बहुमत से संसद द्वारा किया जा सकता है।

-552 देशी रियासतें भारत की सीमा में थी जिनमें 549 रियासतें भारत में शामिल हो गई थी।
हैदराबाद जूनागढ़ और कश्मीर रियासतों ने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया लेकिन बाद में हैदराबाद को पुलिस कार्रवाई द्वारा जूनागढ़ को जनमत द्वारा कश्मीर को विलय पत्र के द्वारा भारत में शामिल कर लिया गया।

-जून 1948 में एस के धर आयोग का गठन किसने अपनी रिपोर्ट दिसंबर 1948 में पेश की जिसमें राज्यों का पुनर्गठन भाषा ही आधार पर न करके प्रशासनिक सुविधा के अनुसार होना चाहिए।

-धर आयोग की रिपोर्ट को अत्यधिक विद्रोह होने पर दिसंबर 1948 में जवाहरलाल नेहरू वल्लभभाई पटेल पत्ता भी सीता रमैया को शामिल कर जेपी समिति का गठन किया गया किसने अप्रैल 1949 में रिपोर्ट पेश की जिसमें राज्यों का गठन भाषा के आधार पर हो अस्वीकार कर दिया।

-कांग्रेसी कार्यकर्ता पोट्टी श्री रामलू की 56 दिन की भूख हड़ताल से मृत्यु होने पर अक्टूबर 1953 में मद्रास से तेलुगु भाषा क्षेत्र से आंध्र प्रदेश का गठन किया गया।

-दिसंबर 1953 में फजल अली की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया गया इसके अन्य दो सदस्य के.ऍम.पणिक्कर और एच एन कुंजूरू थे | 1955 में अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें राज्यों के पुनर्गठन में को मुख्य आधार बनाया जाना चाहिए लेकिन इसने “एक राज्य एक भाषा” के सिद्धांत को अस्वीकार कर दिया।

-वर्ष 1960 में मुंबई को बांटकर  महाराष्ट्र और गुजरात दो नए राज्य बने अर्थात गुजरात भारतीय संघ का 15 वां राज्य बना।

दसवीं संविधान संशोधन अधिनियम 1961 द्वारा दादरा एवं नगर हवेली को संघ शासित क्षेत्र में परिवर्तित कर दिया गया।

-भारत में पुडुचेरी, कराईकाल, माहे यनम 14 वे संविधान संशोधन अधिनियम 1962 में संघ शासित प्रदेश बनाया गया।

-1963 में नागालैंड 16वां राज्य बना।

-1966 में हरियाणा 17वां राज्य व चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश का गठन किया गया।

-1971 में हिमाचल प्रदेश 18 राज्य बना पहले केंद्र शासित राज्य था। पूर्ण राज्य बना।

Leave a Comment