लॉर्ड कर्ज़न (1899-1905) जीवन परिचय|नीतियां|सुधार|मृत्यु|बंगाल विभाजन

 

भारतीय इतिहास में लॉर्ड कर्ज़न सबसे अलोकप्रिय वायसराय माना गया है। इसे इसके कार्यों के कारण दूसरा औरंगजेब गोपाल कृष्ण गोखले द्वारा कहना उचित समझा गया है। हालांकि लॉर्ड कर्जन एक परिश्रमी, जिम्मेदार योग्य गवर्नर था। जिसने अनेक सुधार भी किये जैसे शिक्षा में सुधार, आर्थिक सुधार, पुलिस सुधार, कृषि सुधार आदि। इसका सबसे घृणित कार्य बंगाल विभाजन था।

लॉर्ड कर्ज़न

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लॉर्ड कर्जन का जीवन परिचय

लॉर्ड कर्ज़न का पूरा नाम जार्ज नैथूनियल कर्जन था। यह केडलस्टन डर्बीशायर के रेक्टर व चौथे बैरन स्कार्सडेल के सबसे बड़े पुत्र थे। यह अपने समकालीन लोगों में भारत के विषय में सबसे अधिक जानकारी रखते थे। यह परिश्रमी, जिम्मेदार तथा योग्यतम् गवर्नर था। विद्यालयी शिक्षा के प्रारंभिक स्कूल मास्टर जो शारीरिक दंड में विश्वास रखते थे, उनसे यह काफी प्रभावित था। 1874 में एक दुर्घटना के कारण इसकी पीठ में भयानक दर्द हुआ था। डॉक्टरों ने इसे आराम करने की सलाह दी लेकिन इसने सलाह न मानकर चमड़े का हार्नेस जीवन पर्यंत पहना जिसके कारण इसे नींद नहीं आती थी और यह ड्रग्स लेने लगा जिससे यह और क्रूर प्रवृत्ति का हो गया।

कर्जन जब ईटन में स्नातक कर रहा था। तभी इसने भारत का गवर्नर जनरल बनने की इच्छा प्रकट की थी। इसकी यह इच्छा 1899 में पूर्ण हुई। यह भारतीयों से हमेशा द्वेष भावना रखता था। यह अपने को एक श्रेष्ठ शासन की दृष्टि से देखता। कर्जन की मृत्यु मार्च 1925 में एक आंतरिक ऑपरेशन कराने के कारण हुई।

लॉर्ड कर्जन की नीतियां/ लाॅर्ड कर्जन के सुधार

लॉर्ड कर्ज़न के शिक्षा में सुधार

लॉर्ड कर्ज़न भारतीय विश्वविद्यालय और शिक्षा निकायों को उग्रवादियों और विद्रोहियों का अड्डा मानता। जिसे रोकने के लिए उसने 1901 में शिमला में शिक्षाविदों का सम्मेलन बुलाया। इस सम्मेलन में एक भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया। सम्मेलन के बाद एक विश्वविद्यालय आयोग टाॅमस रैले की अध्यक्षता 1902 में गठित किया गया। इस आयोग में दो भारतीय सदस्य सैयद हुसैन बिलग्रामी तथा गुरूदास बैनर्जी को सम्मिलित किया गया। इसी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय कानून बनाया गया। इस कानून के द्वारा विश्वविद्यालयों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ गया। जिससे सरकार विश्वविद्यालयों के लिए नियम बना सकती तथा इनका निरीक्षण भी कर सकती थी। इस नियंत्रण को आगे और कठोरता पूर्वक लागू किया गया। इसलिए इस कानून का जोरदार विरोध किया गया। इस कानून के परिपेक्ष में कर्जन की छवि भारतीय शिक्षाविदों में एक खलनायक के रूप में बनी। कर्जन का भारतीय शिक्षा के बारे में मानना था। कि” पूर्व एक ऐसा विद्यालय है, जहां विद्यार्थियों को कभी प्रमाण पत्र नहीं मिलता।”

लॉर्ड कर्ज़न के आर्थिक सुधार

1899 में भारतीय टंकण तथा मुद्रण अधिनियम के आधार पर भारतीय मुद्रा को परिवर्तीय मुद्रा बना दिया तथा अंग्रेजी पाउंड भारत में विधिग्रह् बन गया तथा यह 1 पाउंड 15 रुपए के बराबर था। इस व्यवस्था के लागू होने पर जिन व्यक्तियों की वार्षिक आय ₹ 1000 थी उन्हें कर देना नहीं पड़ता था तथा नमक कर को भी घटकर 2.5 रुपए प्रतिमन से 1.5 रुपए प्रतिमन कर दिया गया।

कृषि सुधार

लॉर्ड कर्ज़न द्वारा बंगाल में एक कृषि अनुसंधान केंद्र की स्थापना की जिससे वैज्ञानिक ढंग से कृषि की जा सके। पंजाब के कृषकों की स्थिति को मजबूत करने के लिए 1900 में दि पंजाब लैंड एलिनेशन एक्ट लाया गया जो कि किसी भी साहूकार द्वारा बिना सरकार की अनुमति के किसानों की भूमि पर अधिकार नहीं कर सकता था। इसी क्रम में कर्जन द्वारा 1904 में दि कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटीज एक्ट लाया गया। जिसके द्वारा किसानों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई तथा फसल नष्ट होने या खराब होने की दशा में लगान माफ करने का आदेश जारी किया।

सिंचाई आयोग का गठन

कर्जन द्वारा 1901 में कालिन स्काट के नेतृत्व में सिंचाई आयोग का गठन किया। इस आयोग ने सिंचाई के महत्व को समझा और अगले 20 वर्षों में इस पर 44 करोड रुपए खर्च करने की सिफारिश की जिसे सरकार द्वारा मान लिया गया।

लॉर्ड कर्ज़न के पुलिस सुधार

लॉर्ड कर्ज़न को पुलिस के क्रियाकलापों मे सुधार की आवश्कता महसूस हुई।इसलिए इसके द्वारा 1902 में पुलिस सुधार हेतु र्फेजर आयोग का गठन किया गया। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया कि पुलिस विभाग पूरी तरीके से भ्रष्ट हो चुका है। और आयोग सुझाव दिया कि सिपाहियों और अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण स्कूल खोले जाएं तथा उच्च अधिकारियों की भर्ती प्रत्यक्ष की जाएं इनके वेतन में वृद्धि तथा गुप्तचर विभाग बनाया जाए। आयोग ने स्पष्ट किया कि जनता को संदेह मात्र पर गिरफ्तार न किया जाए। आयोग के उपर्युक्त सभी सुझावों को सरकार ने मान लिया तथा प्रांतीय स्तर पर एक गुप्तचर विभाग (CBI) की स्थापना की गई।

मैक्डोनाल्ड आयोग (1900)

भारत में लार्ड एल्गिन द्वितीय के समय से ही कुछ प्रांतों को छोड़कर लगभग संपूर्ण भारत में अकाल की स्थिति का सामना करना पड़ता था। अतः इस स्थिति से निपटने के लिए लॉर्ड कर्ज़न ने मैक्डोनाल्ड की अध्यक्षता में एक अकाल आयोग का गठन किया। इस आयोग ने एक अकाल आयुक्त बनाने की सिफारिश की और कहा की सरकार को अकाल की स्थिति उत्पन्न होते ही तुरंत सहायता देना प्रारंभ कर देना चाहिए तथा यह भी सुझाव दिया कि इस विषम परिस्थिति में सरकार को गैर सरकारी संगठन से भी सहायता लेनी चाहिए।

रेलवे सुधार (1901)

भारतीय इतिहास में रेलवे के निर्माण को एक नए युग की तरह देखा गया। रेलवे के निर्माण की प्रगति लॉर्ड कर्ज़न के पूर्व ही प्रारंभ हो गई थी। लेकिन अंग्रेजी भारत के इतिहास में सबसे अधिक रेलवे लाइन का विस्तार कर्जन के कार्यकाल में ही संपन्न हुआ। कर्जन ने 1901 में रॉबर्टसन की अध्यक्षता में रेल व्यवस्था के सुधार के लिए एक रेलवे आयोग की नियुक्ति की। इस आयोग ने सुझाव दिया कि रेलवे का प्रबंधन व्यावहारिक आधार पर होना चाहिए। अतः कर्जन ने रेलवे विभाग खत्म करके रेलवे बोर्ड की स्थापना की।

लॉर्ड कर्ज़न एक पुरातत्वविद् था। उसने 1904 में प्राचीन स्मारक सुरक्षा कानून बनाया। जिसके द्वारा पुरातत्व विभाग की स्थापना की गई। और इसके रखरखाव एवं सुरक्षा के लिए 50000 पाउंड की धनराशि इस विभाग को उपलब्ध कराई गई।

कर्जन द्वारा बंगाल विभाजन (1905)

लॉर्ड कर्ज़न द्वारा भारत में सबसे घृणित कार्य बंगाल विभाजन था। कर्जन द्वारा यह तत्व प्रस्तुत किया गया। कि बंगाल प्रांत बड़ा होने के कारण प्रशासनिक असुविधा होती है। लेकिन इस विभाजन से देश की जनता में आक्रोश व्याप्त हो गया। कर्जन की प्रतिक्रियावादी नीतियों की भारतीय युवाओं में प्रतिक्रिया हुई। नए बंगाल प्रांत के लेफ्टिनेंट गवर्नर सर एंण्ड्रयू फ्रेजर ने सांप्रदायिक आधार पर कहा था।” मेरी दो पत्नियां है जिसमें मुसलमान पत्नी मुझे अधिक प्रिय है।” लॉर्ड कर्ज़न द्वारा किए गए कुछ प्रतिक्रियावादी कार्य जैसे कोलकाता कॉरपोरेशन अधिनियम एवं विश्वविद्यालय अधिनियम आदि भारत ने उग्रवादी कार्यों को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। कर्जन के 7 वर्षों के शासनकाल को शिष्टमंडलों भूलों तथा आयोगों का काल कहा जाता है। हालांकि 1911 में बंगाल विभाजन को रद्द कर दिया गया। परंतु लॉर्ड कर्जन अंतत अपने सांप्रदायिक उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल रहा।

 प्रश्न01-बंगाल विभाजन कब हुआ?

बंगाल विभाजन की घोषणा लॉर्ड कर्जन ने 20 जुलाई 1905 को की तथा इसके बाद बंगाल विभाजन लागू 16 अक्टूबर 1905 को कर दिया गया।

प्रश्न02- बंगाल का एकीकरण कब किया गया?

बंगाल विभाजन लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय के समय में 1911 में समाप्त किया गया। जिसमें जॉर्ज पंचम, क्वीन मेरी, भारत सचिव जार्ज मार्ले के संयुक्त हस्ताक्षर के द्वारा इसकी समाप्ति की घोषणा की गई

 प्रश्न03- बंगाल विभाजन का कारण क्या था?

बंगाल विभाजन का मुख्य कारण बंगाल की एकजुट शक्ति को तोड़ना था। जिसमें हिंदू तथा मुसलमान सभी शामिल थे। ब्रिटिश भारतीय राष्ट्रीय चेतना को फूट डालो राज करो के सिद्धांत के द्वारा नष्ट करना चाहती थी। उसने धार्मिक आधार पर बंगाल विभाजन करना उचित समझा।

 प्रश्न04- बंगाल विभाजन रद्द कब हुआ?

बंगाल विभाजन 1911 में दिल्ली दरबार के अवसर पर जॉर्ज पंचम तथा क्वीन मेरी के द्वारा रद्द करने की घोषणा की गई।

 प्रश्न05- लार्ड कर्जन की मृत्यु कैसे हुई?

लॉर्ड कर्जन की मृत्यु उसके मूत्राशय में गंभीर रक्तस्राव होने के कारण ऑपरेशन किया गया। जिसके फलस्वरूप 1925 में इसकी मृत्यु हो गई।

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