असहयोग आंदोलन
असहयोग आंदोलन का प्रारंभ कोई एक दिन की घटना का परिणाम न होकर, अंग्रेजी शासन द्वारा भारतीयों के प्रति उठाए गए कदमों का परिणाम था। असहयोग आंदोलन की मुख्यतः नींव वर्ष 1919 में पड़ी। क्योंकि इस वर्ष अंग्रेजी सत्ता द्वारा बनाई गई सरकारी नीतियां एवं गतिविधियों के कारण भारत के लगभग सभी सामाजिक वर्ग असंतुष्ट हो गए थे।
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असहयोग आंदोलन का मुख्य कारण :-
असहयोग आंदोलन के मुख्य कारण निम्नलिखित थे:-
प्रथम विश्व युद्ध के कारण जनता आर्थिक रूप से त्रस्त हो गई थी। महंगाई अपने चरम पर जिससे कस्बो, नगरों में रहने वाले मध्यम वर्गीय एवं निम्न वर्गीय लोग परेशान थे। खाद्यान्न की कमी, मुद्रास्फीति बढ़ने लगी औद्योगिक इकाइयों का उत्पादन कम हो गया। लोगों पर कर्ज बड़ा इसके साथ-साथ सुखे महामारी और फ्लैग जैसी आपदाओं ने तो आम जनमानस की कमर तोड़ के रख दी।
असहयोग आंदोलन के प्रारंभ होने का सबसे बड़ा कारण रोलेट एक्ट (संदेश मात्र से ही लोगों पर मुकदमा चला कर वर्षों की सजा सुनाया जाना) पंजाब में मार्शल लॉ लागू करना, जलियांवाला बाग हत्याकांड आदि घटनाओं ने अंग्रेजी सरकार के क्रूर और असभ्य रवैए को उजागर किया। हंटर कमीशन की सिफारिश से हाउस आफ लॉर्ड्स में जनरल डायर के कृत्यों को उचित ठहराया गया तथा मॉर्निंग पोस्ट ने डायर के लिए 30000 पौंड की धनराशि एकत्रित करना।
1919 में मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार जिसका मुख्य उद्देश्य द्वैध शासन प्रणाली लागू करना था।
असहयोग आंदोलन कहां से शुरू हुआ:-
गांधी जी द्वारा असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 से प्रारंभ किया गया। इसे पश्चिमी भारत, बंगाल, उत्तरी भारत में अभूतपूर्व सफलता प्राप्त हुई। इस दौरान मोतीलाल नेहरू, लाला लाजपत राय, सरदार वल्लभभाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू तथा राजेंद्र प्रसाद ने वकालत छोड़कर आंदोलन में कूद पड़े। गांधी जी ने एक वर्ष के भीतर स्वराज का नारा दिया।
सितंबर 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोलकाता के विशेष अधिवेशन में असहयोग आंदोलन को स्वीकारा गया। इसकी अध्यक्षता लाला लाजपत राय द्वारा की गई। इसका सी.आर. दास द्वारा विरोध किया गया। दिसंबर 1920 के नागपुर अधिवेशन में असहयोग आंदोलन प्रस्ताव को सी.आर. दास ने ही प्रस्तावित किया। जो की अंतिम रूप से पारित होने में सफल रहा।
असहयोग आंदोलन का विरोध सी.आर. दास, जिन्ना, एनीबेंसेंट और विपिन चंद्र पाल ने किया था।
असहयोग आंदोलन के कार्यक्रम (प्रस्तावित प्रावधान):-
असहयोग आंदोलन के प्रस्तावित प्रावधान संबंधी प्रमुख बातें निम्नलिखित थी :-
– सरकारी उपाधि एवं अवैतनिक सरकारी पदों एवं अन्य पहलुओं का बहिष्कार।
-मद्य निषेध (ताड़ी, शराब जैसी अन्य नशीली चीज)|
-सरकार द्वारा आयोजित सरकारी एवं अर्द्ध सरकारी उत्सवों का बहिष्कार किया जाए। सरकारी शिक्षण संस्थानों तथा अस्पतालों, अदालतों का बहिष्कार।
-विदेशी सामानों, विदेशी नौकरियों का त्याग किया जाए।
-विभिन्न करो को देना बंद किया जाए।
-स्थानीय स्वशासन हेतु पंचायत का गठन किया जाए।
-हिंदू मुस्लिम एकता तथा छुआछूत को मिटाकर भाईचारे की भावना का विकास करना।
-राष्ट्रीय विद्यालयों की स्थापना तथा कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन प्रदान किया जाए।
असहयोग आंदोलन के समर्थन में किए गए कार्य:-
–ब्रिटिश सरकार द्वारा महात्मा गांधी को प्रदान की गई, कैसर-ए-हिंद की उपाधि गांधी जी द्वारा वापस साथ ही साथ जुलू-युद्ध- पदक बोअर युद्ध पदक भी लौटा दिए गए।
-सीआर दास, जवाहरलाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू, राजेंद्र प्रसाद, वल्लभभाई पटेल,सी राज गोपालाचारी आदि नेताओं ने उपाधियों और नौकरियों को छोड़ दिया।
–लोगों द्वारा स्कूल नौकरियों से बायकाट तथा विभिन्न स्थानों पर जनसभाओं को संबोधित किया गया।
–1921 में प्रिंस ऑफ वेल्स भारत भ्रमण पर आए उन्हें यहां की जनता ने काले झंडे दिखाकर उनका स्वागत किया।
–इस आंदोलन में सर्वप्रथम गिरफ्तार होने वाले नेता मोहम्मद अली थे |इसी क्रम में सरकार की दमनकारी नीतियों के द्वारा सी. आर. दास तथा उनकी पत्नी बासंती देवी को गिरफ्तार कर लिया गया।
–असहयोग आंदोलन में लगभग 30000 लोगों की गिरफ्तारी हुई लेकिन गांधी जी को गिरफ्तार नहीं किया जा सका।
–असहयोग आंदोलन चलाने के लिए 1921 ईस्वी में तिलक स्वराज फंड की स्थापना की गई इसमें 6 माह के अंदर एक करोड रुपए एकत्रित हो गया।
–पंजाब में अकाली आंदोलन जो कि अहिंसक आंदोलन था प्रारंभ हुआ।
असम के चाय बागानों के मजदूरों द्वारा हड़ताल करना।
-मिदनापुर के किसानों द्वारा यूनियन बोर्ड को कर देने से मना कर दिया गया।
उपरोक्त सभी कार्यक्रमों के साथ-साथ गांधी जी ने अंग्रेजी सरकार को चेतावनी दी। कि अगर 7 दिनों के अंदर राजनीतिक बंदी रिहा नहीं हुए और प्रेस पर सरकार का नियंत्रण समाप्त नहीं किया गया। तो वह करो की अदायगी समेत सामूहिक रूप से बारदोली में एक सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करेंगे । लेकिन इसी दौरान गोरखपुर में चौरी-चोरा कांड हो जाता है। जिससे क्षुब्ध होकर गांधी जी असहयोग आंदोलन वापस ले लेते हैं।
प्रश्न :-असहयोग आंदोलन कब हुआ ?
असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को गांधी जी द्वारा प्रारंभ किया गया।
प्रश्न:- असहयोग आंदोलन कहां से शुरू हुआ ?
असहयोग आंदोलन सितंबर 1920 में लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में कोलकाता में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में महात्मा गांधी के सहयोग से या प्रस्ताव पारित किया गया।
प्रश्न:- सहयोग आंदोलन का मुख्य कारण था।
असहयोग आंदोलन के मुख्य कारण निम्नलिखित थे रॉलेट एक्ट प्रथम विश्व युद्ध के कारण महंगाई, मुद्रा स्फीति ,औद्योगिक उत्पादन में गिरावट, लोगों पर कर्ज, सूखा, महामारी, फ्लैग पंजाब में मार्शल लॉ आदि।
प्रश्न:- असहयोग आंदोलन कब समाप्त हुआ।
4 फरवरी 1922 को गोरखपुर में चौरी- चोरा कांड के कारण क्षुब्ध होकर महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस लेने का निर्णय लिया है। तथा 12 फरवरी 1922 को बारदोली में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की।
प्रश्न:- असहयोग आंदोलन क्या है।
अंग्रेजी सरकार द्वारा मानवीय कृत्यों एवं नए-नए समाज विरोधी नियमों को पारित करने पर भारतीय नेताओं एवं जनता द्वारा अंग्रेजी सरकार के सभी कार्यों में सहयोग न करके असहयोग करने का निर्णय लिया गया।
प्रश्न:- असहयोग आंदोलन कब और क्यों वापस लिया गया।
12 फरवरी 1922 को महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की। क्योंकि गांधीजी 4 फरवरी 1922 को हुए चौरी- चौरा (गोरखपुर) कांड से बहुत आहत हुए थे।
प्रश्न:- असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस के किस अधिवेशन में पारित हुआ।
सितंबर 1920 के कोलकाता अधिवेशन में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ।
प्रश्न:- असहयोग आंदोलन के उद्देश्य।
जिन कार्यों से खिलाफत आंदोलन प्रारंभ किया गया। उनका उचित समाधान तथा जलियांवाला बाग हत्याकांड का प्रतिकार एवं स्वराज स्थापित।