जनजातीय विद्रोह (1757 से 1856 तक)

 जनजातीय विद्रोह                                                                                                  1857 से पूर्व लगभग 100 वर्षों से विदेशी राज्य द्वारा उत्पन्न कठिनाइयों के विरुद्ध अनेक आंदोलन विद्रोह तथा सैनिक विप्लव हुए स्वशासन में विदेशी हस्तक्षेप अत्यधिक करो का लगाना अर्थव्यवस्था की दयनीय स्थिति आदिवासियों के भूमि और जंगल मुख्य कारण थे झूम खेती पर प्रतिबंध वन क्षेत्रों पर नियंत्रण पुलिस व्यापारियों एवं महाजनों द्वारा शोषण आदि जनजातीय विद्रोह  के मुख्य कारण थे|

जनजातीय विद्रोह

  • संन्यासी विद्रोह
  • संथाल विद्रोह
  • संथाल विद्रोह का नेता कौन था
  • संथाल विद्रोह कब हुआ था
  • बधेरा विद्रोह
  • कोल का विद्रोह
  • बहावी आन्दोलन
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भारत में क्रांतिकारी आंदोलन
संन्यासी विद्रोह

संन्यासी विद्रोह का मुख्य कारण तीर्थ स्थलों तथा तीर्थ यात्रा पर प्रतिबंध लगाया जाना था, कभी मराठों राजपूतों नवाबों की सेनाओं में सेवा देने वाले सैनिक मुख्यता हिंदू नागा और गिरी के सशस्त्र सन्यासी थे| 1770 में भीषण अकाल पड़ा, लेकिन कंपनी के पदाधिकारियों की कठोरता को लोगों ने विदेशी राज्य की देन समझा, तीर्थ यात्राओं पर प्रतिबंध लगाने के कारण सन्यासियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह प्रारंभ कर दिया| इन सन्यासियों ने जनता से मिलकर कंपनी की कोठियों तथा कोषागारो पर आक्रमण किया, सभी वीरता से लड़े| 

1820 तक वारेन हेस्टिंग्स द्वारा चलाए गए अभियान द्वारा इसका दमन कर दिया गया| इसी सन्यासी विद्रोह का उल्लेख वंदे मातरम के रचयिता “बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय” ने अपने उपन्यास “आनंदमठ” में किया है, इस आंदोलन को “फकीर आंदोलन” भी कहा जाता है| इस जनजातीय विद्रोह में हिंदुओं और मुसलमानों की समान भागीदारी रही मजनूम शाह, चिराग अली, मूसा शाह, भवानी पाठक, तथा देवी चौधरानी इस विद्रोह के प्रमुख नेता थीl

जनजातीय विद्रोह

 संथाल विद्रोह

भागलपुर तथा राजमहल जिले के बीच में संथालो द्वारा कंपनी के अधिकारियों जमीदारों एवं पुलिस की वसूली और दुर्व्यवहार के कारण विद्रोह कर दिया, और सिद्धू एवं कान्हू  के नेतृत्व में संथालों ने कंपनी के शासन के अंत की घोषणा की| इस जनजातीय आंदोलन का 1856 तक दमन कर दिया गया |

जनजातीय विद्रोह

संथाल विद्रोह का नेता कौन था

संथाल विद्रोह के मुख्य नेता सिद्धू और कानून ने जिनके द्वारा अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर दिया गया था| इन लोगों के लिए प्रथक संथाल परगना बनाकर शांति स्थापित की|

संथाल विद्रोह कब हुआ

संथाल विद्रोह 1855-1856 ई. तक  सिद्धू और कानून के नेतृत्व में भागलपुर तथा राज महल जिलों में हुआ था|

बधेरा विद्रोह 

बधेरा विद्रोह ओखा मंडल के बधेरे आरंभ से ही विदेशी शासन से विरोधी थे| जब बड़ौदा के गायकवाड़ ने अंग्रेजी सेना की सहायता से लोगों से अधिकार कर प्राप्त करने का प्रयत्न किया तो बगैरा सरदार ने सशस्त्र विद्रोह कर दिया और 1818-19 के बीच अंग्रेजी प्रदेश पर भी आक्रमण किया| अंत में 1820 में शांति स्थापित हो गई|

कोल का विद्रोह 

भीलो के पडोसी कोल भी अग्रेजो से अप्रसन्न थे कोलो ने 1829,1839 तथा पुनः 1884 से  1848 तक इन्होने विद्रोह किये जो सब दबा दिए गये |

 बहावी आंदोलन

1830 से 1860 यहां आंदोलन रायबरेली के सैयद अहमद बरेलवी के नेतृत्व में 1830 में प्रारंभ किया गया| इसका उद्देश्य भारत को मुसलमानों का देश बनाना था, अर्थात यह आंदोलन मुसलमानों का, मुसलमानों द्वारा, मुसलमानों के लिए, ही था| लेकिन भारत में इसका लक्ष्य अंग्रेजों तथा शोषक वर्ग के अन्य लोगों का विरोध करना हो गया|

भारत में इस जनजातीय आन्दोलन का  प्रमुख केंद्र पटना था इसके अतिरिक्त हैदराबाद मद्रास बंगाल यूपी तथा मुंबई में इसकी शाखाएं स्थापित की गई 1860 के पश्चात अंग्रेजों ने वहाबियों के विरुद्ध एक व्यापक अभियान प्रारंभ किया| इस आंदोलन का देश में यह प्रभाव रहा कि देश के मुसलमानों में पृथकवाद की भावना जागी|

जनजातीय विद्रोह

विद्रोह का नाम विद्रोह का वर्ष स्थान नेतृत्वकर्ता
कोल विद्रोह 1831 छोटा नागपुर बुद्धो भगत
अहोम विद्रोह 1828 असम गोम्धर कुँवर
खासी विद्रोह 1833 गारो पहाड़िया (मेघालय ) राजा तीरत सिंह
पागल पंथी 1840-1850 उत्तरी बंगाल करम शाह
फरेजी आन्दोलन 1838-1857 फरीदपुर (बंगाल ) हाजी शरीयतुल्ला
रामोसी आन्दोलन 1822 पश्चिमी घाट सरदार चित्तर सिंह

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