भारत में यूरोपियों का आगमन व्यापार के लिए हुआ था,लेकिन परिस्थितियों को देखकर वह यहाँ की राजनीति में उलझ कर सत्ता हासिल करने में लग गये |आख़िरकार सत्ता अग्रेजो के हाथ लगी |बाकी पुर्तगाली,डच,डेन,फ्रांसिसी कंपनियों को वापस लौटना पड़ा |
पुर्तगाली
केप आफ गुड होप होकर वास्कोडिगामा 17 मई 1498 में कालीकट पहुंचा।
पुर्तगाली आए थे व्यवसाय करने लेकिन उनका छुपा एजेंडा ईसाई मत का प्रचार- प्रसार करना था। उस समय वह अपने प्रतिस्पर्धी अरबों को बाहर खदेड़ कर व्यापार पर एकाधिकार करना चाहते थे।
पुर्तगालियों की भारत में स्थिति मजबूत होने के कारण पुर्तगाल के शासक मैनुअल प्रथम ने 1501 में अरब फारस और भारत के साथ व्यापार का स्वयं को मालिक घोषित कर दिया।
पुर्तगालियों के समय भारत की स्थिति
गुजरात को छोड़कर शक्तिशाली महमूद बेगड़ा का शासन था।
ढक्कन में बहमनी राज्य जो छोटी-छोटी शक्तियों में विभाजित था।
भारतीय सभी शक्तियां नौसैनिक शक्तिहीन थी।
राजकुमार हेनरी पुर्तगाल का नाविक ने अपना पूरा जीवन भारत को जाने वाले समुद्री मार्ग की खोज …
भारत में पुर्तगाली साम्राज्य का सूत्रपात
1505 में फ्रांसीस्को डी अल्मेडा गवर्नर नियुक्त। जिसने ब्लू वाटर पॉलिसी /शांत जल की नीति का अनुकरण किया।
मिश्र ने पुर्तगालियों को रोकने के लिए लाल सागर में अपनी चौकसी बढ़ा दी। डीअल्मेडा को उत्तरी अफ्रीका में मूर से युद्ध करना पड़ा।
अल्फांसो डी अल्बुकर्क (1509-15)
1503 में अल्बूकर्क स्क्वैडेन कमांडर के रूप में भारत आया तथा 1509 में वायसराय नियुक्त हुआ जो पुर्तगाली साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
1510 ईसवी में बीजापुर से गोवा छीना तथा दमन, राजौरी और दाभोल के बंदरगाहों पर कब्जा किया।
इसमें हिंदू महिलाओं के साथ विवाह की नीति अपनाई।
1511 में मलक्का पर पुर्तगालियों का प्रभुत्व स्थापित हुआ।
1532 में दीव पर प्रभुत्व स्थापित।
पुर्तगालियों का व्यापार पर प्रभुत्व
नागापट्टनम पुर्तगालियों का प्रमुख बंदरगाह था।
सैनथोम (मैलपुर) में पुर्तगालियों की बस्ती थी।
महमूद शाह (बंगाल का शासक) द्वारा 1536 में चटगांव और सतगांव में फैक्ट्री खोलने की अनुमति।
अकबर की अनुमति से हुगली और शाहजहां के फरमान से बुंदेल में कारखाने स्थापित।
कार्टेज व्यवस्था
इस व्यवस्था के तहत भारतीय जहाजों के कप्तानों को गोवा के वायसराय से लाइसेंस या पास लेना पड़ता था। जिससे पुर्तगाली भारतीय जहाजों पर हमला नहीं करते थे अन्यथा उसे लूट लेते थे।
वेडोर दा फजेंडा
यह राजस्व तथा कार्गो एवं नौसैनिक बेड़ा भेजने के लिए जिम्मेदार होता था।
वायसराय नीनो दा कुन्हा : (1529 -38)
नवंबर 1529 में कार्यभार संभाला।
1530 में मुख्यालय कोचीन से गोवा ले गया।
बहादुर शाह ने (गुजरात का शासक) मुगल शासक हुमायूं से अपने संघर्ष के दौरान पुर्तगालियों को 1534 में बेसिक द्वीप सौपकर मदद ली।
1536 में हुमायूं के गुजरात से जाने के बाद पुर्तगालियों एवं बहादुर शाह के संबंध बिगड़ गए तथा शाह को जहाज पर बुलाकर मार दिया गया।
अकबर एवं पुर्तगाली:
1572 कैम्बे के दौरे पर अकबर की मुलाकात पुर्तगाली व्यापारियों से हुई।
फादर जूलियन परेरा विकार (चर्च में पुजारी) से ईसाई धर्म का ज्ञान प्राप्त किया।
1578 में अकबर के समय एंटोनियो केबरेल ने मुगल राजधानी का दौरा किया। अकबर को संतुष्ट नहीं कर सका।
अकबर द्वारा धर्म मीमांसा के रूप में 28 फरवरी 1580 को दो पादरी रोडक्लफो एक्वाविवा और एंटोनियो मांसरेट फतेहपुर सीकरी पहुंचे।
कैप्टन हॉकिंस की यात्रा:
1608 में हॉकिंस इंग्लैंड के सम्राट जेम्स प्रथम द्वारा व्यापार में अनुमति हेतु जहांगीर के नाम प्रार्थना पत्र लाया।
फादर पीनेहेरो व पुर्तगाली अधिकारियों ने हॉकिंस को मुगल दरबार में जाने से रोकने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हो सके।
हॉकिंस तुर्की भाषा का अच्छा ज्ञाता था। उसने इसी भाषा में जहांगीर से संवाद किया जहांगीर ने खुश होकर उसे 30,000 के वेतन पर 400 का मनसबदार नियुक्त किया।
हॉकिंस ने आर्मेनियन ईसाई मुबारक शाह की बेटी से विवाह भी किया।
कॉटेज आर्मेडा काफिला व्यवस्था:
कार्टेज / परमिट अरब सागर में परिवहन के लिए आवश्यक था।
सागर का स्वामी पुर्तगाली अपने को कहते थे।
सम्राट अकबर ने निशुल्क कार्टेज प्राप्त किया।
पुर्तगाली प्रभुत्व का पतन:
धार्मिक असहिष्णुता।
चुपके चुपके व्यापार करना।
ब्राजील की खोज के कारण उपनिवेश संबंधी क्रियाशीलता पश्चिम की ओर उन्मुख होना।
पुर्तगाली अधिपत्य का परिणाम:
धर्म परिवर्तन को बढ़ावा दिया।
1540 में गोवा के मंदिर नष्ट करना।
1560 में गोवा में धर्म न्यायालय की स्थापना।
1542 ईसवी पुर्तगाली गवर्नर मार्टिन डिसूजा के साथ प्रसिद्ध ज्यूस संत जेवियर भारत आया।
पुर्तगाली मध्य अमेरिका से तंबाकू, आलू और मक्का भारत लाए।
प्रिंटिंग प्रेस (छपाई )की शुरुआत।
अनन्नास, पपीता, बादाम, काजू, मूंगफली, शकरकंद, काली मिर्च, लिची और संतरा पुर्तगालियों की ही देन है।
डच
नीदरलैंड या हालैंड के निवासी थे।
1595-96 में कार्नेलियस हाउटमैन के नेतृत्व में पहला डच अभियान भारत आया।
1602 यूनाइटेड ईस्ट इंडिया कंपनी ऑफ नीदरलैंड की स्थापना। जिसका मूल नाम v.o.c. (Vereenigde Oost Indische Compagnic) था।
1605 ईस्वी में डचों ने पुर्तगीजो से अंबायना ले लिया तथा धीरे-धीरे मसाला द्वीप पुंज (इंडोनेशिया) में पुर्तगीज को हराकर अपना प्रभाव स्थापित किया।
जकार्ता जीतकर 1619 में बैटेविया नामक नगर बसाया।
1605 में मसूलीपट्टनम में प्रथम डच फैक्ट्री की स्थापना।
दूसरी फैक्ट्री पेत्तोपोली (निजामपत्नम) में स्थापित।
पुलीकट में स्थापित फैक्ट्री को अपना मुख्यालय बनाया। जो 1610 में चंद्रगिरी के राजा से समझौता करके यहां अपने स्वर्ण पगोड़ा सिक्के ढालें।
फैक्ट्रियों की स्थापना
1605 में मसूलीपट्टनम (प्रथम) पेत्तोपोली (दूसरी ) 1610- पुलीकट (मुख्यालय बनाया) स्वर्ण पैगोडा सिक्के ढालें। 1616- सूरत 1641 – बिमलीपत्तम । यह सभी दक्षिण भारत में स्थापित फैक्ट्रियां थी।
बंगाल में स्थापित फैक्ट्रियां:
1627- पिपली, 1653- चिनसुरा (कोठी) गुस्तावुस फोर्ट नाम दिया। 1658 -कासिम बाजार, बालासोर, पटना और मेगापट्टम, 1660 -गोलकुंडा, 1663- कोचीन।
1664 में औरंगजेब ने डचो को 3.33 % वार्षिक चुंगी पर बंगाल, बिहार, उड़ीसा में व्यापार करने का अधिकार दिया।
फैक्टर – डच फैक्ट्रियों का प्रमुख होता था।
डचों ने मसालों के स्थान पर भारतीय कपड़ों के निर्यात को अधिक महत्व दिया।
भारत से भारतीय वस्त्र को निर्यात की वस्तु बनाने का श्रेय डचो को जाता है।
बेडरा का युद्ध:-1759 डच अंग्रेजों से पराजित हुए।
डचों की व्यापारिक व्यवस्था सहकारिता अर्थात कार्टल पर आधारित थी।
अंग्रेज
अंग्रेज डचो से बाद में भारत आए लेकिन इनकी कंपनी 1599 में गठित जिसका नाम गवर्नर एंड कंपनी ऑफ मरचेंट्स ऑफ लंदन ट्रेडिंग इन टू द ईस्ट इंडिया।
31 दिसंबर 1600 में एक आज्ञा पत्र द्वारा इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने 15 वर्षों के लिए पूर्वी देशों से व्यापार करने की अनुमति प्रदान की।
1609 ईसवी का चार्टर:
1603 में महारानी एलिजाबेथ की मृत्यु तथा जेम्स प्रथम उत्तराधिकारी और इंग्लैंड के सम्राट बने।
1609 में कंपनी ने जेम्स प्रथम से नवीन व्यापारिक चार्टर प्राप्त किया।
1688 ईस्वी में इंग्लैंड में क्रांति हुई जेम्स द्वितीय का तख्तापलट तथा विलियम द्वितीय व उनकी बीवी मेरी को संयुक्त शासक बनाया गया।
1708 में जनरल सोसाइटी इंग्लिश कंपनी ट्रेडिंग इन द ईस्ट दोनों कंपनी पुरानी कंपनी में विलय हो गई।
1688 न्यू कंपनी, 1698 जनरल सोसायटी, 1698 इंग्लिश कंपनी ट्रेडिंग इन द ईस्ट यह सभी कंपनियों द्वारा 1708 में मूल कंपनी द यूनाइटेड कंपनी ऑफ मरचेंट्स ऑफ लंदन ट्रेडिंग टू द ईस्ट इंडीज का जन्म हुआ।
कंपनी की व्यापारिक सफलताएं:
1608 कैप्टन हॉकिंस के नेतृत्व में हेक्टर नामक पहला अंग्रेजी जहाज सूरत बंदरगाह पर रुका।
हांकिंस तुर्की भाषा बोल सकता था जो पहला अंग्रेज था जो समुद्री मार्ग से भारत आया।
1608 अकबर के नाम जेम्स प्रथम का पत्र लेकर हॉकिंस मुगल बादशाह जहांगीर के दरबार में पहुंचा और फारसी भाषा में बात की। प्रसन्न होकर जहांगीर द्वारा 400 का मनसब प्रदान किया गया।
1611 कैप्टन मिडल्टन ने स्वाली में पुर्तगाली जहाजी बेड़े को परास्त किया। जहांगीर अंग्रेजों से प्रभावित हुआ।
1613 में जहांगीर द्वारा सूरत में स्थाई कारखाना खोलने की अनुमति अंग्रेजों को प्रदान की गई।
1611 मसूलीपट्टम (मछलीपट्टनम) में अंग्रेजों द्वारा एक व्यापारिक कोठी बनाई गई।
1626 अरमागांव में दूसरी कोठी खोली।
1632 गोलकुंडा के सुल्तान ने सुनहरा फरमान (गोल्डन फरमान) दिया इसके द्वारा अंग्रेज 500 पेगोंडा वार्षिक देकर गोलकुंडा राज्य के बंदरगाहों पर स्वतंत्र व्यापार कर सकते थे।
1639 फ्रांसिस डे द्वारा चंद्रगिरी के राजा से मद्रास को पट्टे पर लिया गया जहां फोर्ट सेंट जॉर्ज नामक किला बंद कोठी बनाई।
1615 सर टॉमस रो जहांगीर के दरबार में आया।
1630 मेड्रिड की संधि, अंग्रेज और पुर्तगालियों के व्यापारिक संघर्ष का अंत।
1661 इंग्लैंड के राजा चार्ल्स द्वितीय का विवाह पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीन के साथ हुआ पुर्तगालियों ने दहेज में बुम्बई द्वीप प्रदान किया।
1668 चार्ल्स द्वितीय ने 10 पाउंड सालाना किराए पर मुंबई को ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया।
1687 सूरत के स्थान पर मुंबई अंग्रेजों की मुख्य बस्ती बनी।
1633 हरिहरपुर व बालासोर (उड़ीसा ) में व्यापारिक कोठियां बनाएं।
1651 हुगली में ब्रजमैन के अधीन कोठी का निर्माण।
मक्का जाने वाले धर्म यात्रियों को बंदी बनाने पर औरंगजेब की सेना ने पराजित किया और सर जान चाइल्ड को औरंगजेब से माफी मांगनी पड़ी तथा जहाजों के साथ-साथ डेढ़ लाख रुपए हरजाने में देने पड़े।
1686 अंग्रेजों ने हुगली को लूटा तथा औरंगजेब ने पराजित किया तो अंग्रेज ज्वर ग्रस्त द्वीप पर भाग गए।
1690 जॉब चार्नोक द्वारा सूतानाती में एक अंग्रेजी कोठी स्थापित।
1698 बंगाल के सूबेदार azeem-o-shaan (अजीम उस सान) ने अंग्रेजों को सुतानाती, कालिकाता और गोविंदपुर 3 गांव की जमीदारी प्रदान की उक्त तीनों को मिलाकर किला बंद व्यावसायिक प्रतिष्ठान का नाम फोर्ट विलियम रखा गया।
1700 फोर्ट विलियम पहला प्रेसीडेंसी नगर घोषित।
डेन (1616)
1616 डेनों का भारत आगमन ।
1620 तंजौर जिले के ट्रकेबोर में पहली फैक्ट्री स्थापित ।
1676 सीरमपुर (बंगाल) दूसरी फैक्ट्री स्थापित ।
फ्रांसीसी
1664 सम्राट लुई 14वें के समय उसके प्रसिद्ध मंत्री कोलबर्ट के प्रयास से फ्रांसीसी कंपनी कंपनी द एंड ओरिएंटल की स्थापना की गई।
फ्रांसीसी पहले मेडागास्कर दी पहुंचे।
1668 भारत में पहली कोठी फ्रेकोकेरो द्वारा सूरत में स्थापित।
1669 दूसरी कोठी मसूलीपट्टनम में स्थापित।
फैको मार्टिन और वेलांग द लेस्पिने ने शेर खां लोधी से छोटा गांव लेकर बस्ती बसाई जिसे पांडिचेरी नाम से जाना जाता है।
1697 रिजविक की संधि डचो द्वारा फ्रांसीसियों को पांडिचेरी वापस।