नाटो क्या हैं WHAT IS NATO |UNITY OF 30 BEST COUNTRY |

WHAT IS NATO

नाटो क्या है WHAT IS NATO

    नाटो क्या हैं? नाटो संयुक्त राष्ट्र प्रावधानों को मानते हुए अपनी स्वतंत्र राज्य के लिए राजनीतिक एवं सैनिक सुरक्षात्मक गठबंधन के रूप में कार्य करता है, नाटो अपने सदस्यों में राजनीतिक सैनिक एवं आर्थिक क्षेत्रों के साथ-साथ वैज्ञानिक एवं अन्य सैनिक क्षेत्रों में सहयोग एवं समन्वय कारी नीतियों द्वारा उन्हें साझा सुरक्षा प्रदान करता है| यह संगठन अपने सदस्य देशों के साझा हितों की अभिवृद्धि तथा सदस्य देशों की सामूहिक सुरक्षा के प्रयत्नों में एकता स्थापित करेगा |

WHAT IS NATO

  • नाटो क्या है
  •  नाटो का पूरा नाम
    (FULL NAME OF NATO)
  •  नाटो का मुख्यालय कहां है?
  •  नाटो की स्थापना
  •  नाटो के सदस्य देश
  • क्या भारत नाटो का सदस्य है?
  •  रूस यूक्रेन विवाद क्या है ?

और पढ़े :- भारत के पडोसी देश 

 नाटो का पूरा नाम(FULL NAME OF NATO)

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन(THE NORTH ATLANTIC TREATY ORGANIZATION-NATO)

 नाटो का मुख्यालय कहां है?

नाटो का मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी बर्लिन में है|

नाटो क्या हैं

 नाटो की स्थापना

 4 अप्रैल 1949 संयुक्त राज्य अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी|

 नाटो के सदस्य देश

     बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आयरलैंड, इटली, लक्जमबर्ग, नीदरलैंड, नार्वे, पुर्तगाल, ब्रिटेन, एवं संयुक्त राज्य अमेरिका 1952 में, यूनान एवं टर्की 1955 में, जर्मन संघीय गणराज्य पश्चिमी जर्मनी 1982 में, स्पेन 1999 में, चेक गणराज्य, हंगरी एवं पोलैंड 29 मार्च 2004 को, बुलगारिया, एस्तोनिया, लाटविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया तथा स्लोवेनिया शामिल, 4 अप्रैल 2009 अल्बानिया व क्रोएशिया,मोंटेनेग्रो (2017),उत्तर मेसेडोनिया (2020) शामिल |

नाटो क्या हैं

 क्या भारत नाटो का सदस्य है?

     भारत नाटो का सदस्य नहीं है, क्योंकि इसका सदस्य बनने के लिए यूरोपीय राष्ट्र होना आवश्यक है हालांकि नाटो ने यूरोप से बाहरी राष्ट्रों से भी संबंध बनाने में दिलचस्पी जाहिर की है|

 रूस यूक्रेन विवाद क्या है ?

     यूक्रेन नाटो का सदस्य ना होने के बावजूद अमेरिका का एक महत्वपूर्ण भागीदार है,यह 1990 के दशक में स्पष्ट रूप से प्रदर्शित होता है इस प्रकार यूक्रेन अमेरिका सामरिक साझेदारी को औपचारिक रूप दिया गया है, जो कि अमेरिका द्वारा यूक्रेन की सुरक्षा को बढ़ाने हेतु वर्तमान चार्टर “रूसी आक्रमण” का मुकाबला करने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है या केवल यूक्रेनी सेना में सुधार एवं डाटा साझा करने में अमेरिका सहायता पर केंद्रित है| इससे यह स्पष्ट होता है कि किसी प्रकार के युद्ध के समय अमेरिका यूक्रेन की रक्षा नहीं कर सकता,क्योकि सुरक्षा से सम्बंधित इस प्रकार की किसी संधि पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं|

 यूक्रेन संविधान में यह निहित है कि वह नाटो में शामिल हो या नहीं पूर्ण रूप से स्वतंत्र है| 2008 में यूक्रेन नाटो से संबंध होने पर विचार करने पर जर्मनी फ्रांस ने इसे अवरुद्ध कर दिया ताकि रूस को आक्रमण करने का मौका ना मिले लेकिन पिछले दो दशकों से युक्रेन द्वारा लगातार नाटो में चले जाने का प्रयास किया जा रहा है, जो कि राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को को समझ नहीं आता है

वर्ष 2014 में यूक्रेन की जनता द्वारा रूस समर्थित राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को सत्ता से हाथ धोना पड़ा और पश्चिम समर्थक ताकतों को सत्ता में लाया गया, जिससे क्रीमिया में संकट के बादल छा गए यहां की अधिकांश आबादी रुसी थी तथा डोनवास का भी समर्थन प्राप्त था, जो रुसी होना भी दिखा रहा था और उसको पूर्वी यूक्रेन में स्थित तो राज्य डोनेटस्क और लुहांस्क जो रूस की सीमा पर स्थित है जहां डोनेटस्क पीपुल्स रिपब्लिक (डी.पी.आर.) और लुहांस्क पीपुल्स रिपब्लिक (एल.पी.आर.) संगठन रूस समर्थित अलगाववादियों द्वारा संचालित किए जा रहे हैं, इस क्षेत्र “डोनवास” के रूप में जाना जाता है यहां की मुख्य भाषा रूसी है

उपरोक्त से यह स्पष्ट होता है कि यहां केवल क्षेत्रीय अधिपत्य व सामरिक शक्ति से ज्यादा राष्ट्रवाद के सांस्कृतिक मुद्दे हैं, जो कि पश्चिमी देशों और नाटो के अड़ियल रवैये के कारण यह युद्ध और उलझ गया है, सीरिया लेबनान इसके पहले लीबिया के पश्चिम समर्थित सरकार सत्ता में हैं जो लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्थापना करना चाहती हैं

इसका परिणाम बहुत ही भयावह होने वाला है पूर्व में कई बार ऐसे मौके आए जब यूक्रेन और रूस इन मुद्दों को सुलझा सकते थे लेकिन पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप के कारण यह मुद्दा और जटिल बना हुआ है युक्रेन के नाटो में शामिल होने के द्वारा रूस को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा व आंतरिक हितों को बनाए रखने की जिद कहीं तृतीय विश्वयुद्ध की बुनियाद खड़ी कर दे|

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