संविधान में रिट के प्रकार|बन्दी प्रत्यक्षीकरण|परमादेश|प्रतिषेध

भारतीय संविधान में रिट के प्रकार:- भारतीय संविधान में कुल 5 प्रकार की रिटों का उल्लेख है, अनुच्छेद 32 के अनुसार उच्चतम न्यायालय तथा अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालय इन्हें जारी करता है। जो निम्नलिखित है:-

बन्दी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) रिट :-यह रिट एक आदेश है जो उस व्यक्ति के लिए होती है| जिसने किसी व्यक्ति को अवैध रूप से हिरासत में रखा है। न्यायालय आदेश पारित करता है कि जिस व्यक्ति को अवैध रूप से बंदी बनाया गया है उसे सशरीर उपस्थित किया जाए। जिससे न्यायालय उसके कारावास के कारणों से अवगत हो सके । यदि हिरासत में लिए गए व्यक्ति का मामला अवैध है।तो उसे स्वतंत्र किया जा सकता है । यह रिट किसी व्यक्ति, चाहे अधिकारी हो या प्राइवेट व्यक्ति को  जारी की जा सकती है। इसकी अवमानना करने पर उसे दण्डित भी किया जाएगा। कुछ मामलो मे यह रिट जारी नही की जा सकती हैं जैसे :-

– हिरासत कानून के अनुसार है |

यदि कार्यवाही किसी विधान मंडल या न्यायालय की अवमानना के तहत हुई हो।

किसी न्यायालय ने हिरासत में रखने की सजा दी हो| हिरासत न्यायालय के न्याय क्षेत्र के बाहर हुई हो।

यह रिट अनु० 21 के अनुसार किसी व्यक्ति को उसके प्राण एवम  दैहिक स्वतंत्रता से विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही वंचित किया जायेगा अन्यथा नही। इसी संदर्भ में यह रिट मानव स्वतंत्रता  का सर्वोत्तम अग्रदूत कहा गया है। यह रिट व्यक्तिगत आजादी के लिए जारी की जाती है।

रिट
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परमादेश(Mandamus) रिट:- यह रिट सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी की जाती है। इसका शाब्दिक अर्थ “हम आदेश देते हैं” इसके तहत न्यायालय किसी सरकारी अधिकारी, सरकारी इकाई, सरकारी निगम, अधीनस्थ न्यायालय, प्राधिकरणों को यह आदेश जारी करता है। कि वह सार्वजनिक उत्तरदायित्व का निर्वहन ठीक प्रकार से करें। उनके द्वारा उनके कार्यों और उसे न करने के बारे में पूछा जा सके परमादेश रिट निम्नलिखित को जारी नहीं की जा सकती
1- निजी इकाई या निजी (प्राइवेट) व्यक्तियों के विरुद्ध।
2- भारत के राष्ट्रपति एवं राज्यों के राज्यपालों के विरुद्ध।
3- गैर संवैधानिक विभागों के विरुद्ध।

 प्रतिषेध(Prohibition) रिट:-यह रिट सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालयों द्वारा निम्न/अवर न्यायालयों को आदेश जारी किया जाता है। कि वह अपने अधिकार क्षेत्र के बाहर के मामलों में की जाने वाली कार्रवाई को रोक दें इस रिट का शाब्दिक अर्थ ही “रोकना है” यह रिट केवल न्यायिक व अर्ध न्यायिक प्राधिकरण के विरुद्ध ही जारी की जा सकती है
 

उत्प्रेषण(Certiorari) रिट:-उत्प्रेषण रिट का शाब्दिक अर्थ “प्रमाणित होना या सूचना देना है।” इस रिट को किसी विवाद को निम्न/अवर न्यायालय से उच्च न्यायालय में भेजने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा जारी की जाती है। रिट के न्यायिक व अर्ध न्यायिक प्राधिकरणों के खिलाफ ही जारी किया जाता था। लेकिन सन 1991 में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि यह रिट व्यक्तियों के अधिकारों को प्रभावित करने वाले प्रशासनिक प्राधिकरणों के खिलाफ भी जारी की जा सकती है। हालांकि देखा जाए तो यह विधिक निकायों एवं निजी व्यक्तियों या इकाइयों के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती है।
 

अधिकार पृच्छा(Quo Warranto) रिट:-यह रिट किसी भी व्यक्ति द्वारा जारी की जा सकती है। न कि पीड़ित व्यक्ति द्वारा और पूछा जा सकता है। कि वह किस अधिकार से उस पद पर कार्य कर रहा है। अर्थात इस रिट का शाब्दिक अर्थ “किस अधिकार से, प्राधिकृत या वारंट द्वारा।”
इस रिट के द्वारा न्यायालय उस व्यक्ति के खिलाफ आज्ञा पत्र जारी करता है। जो व्यक्ति उस पद पर कार्यरत है जिसे करने के लिए वह अधिकार नहीं रखता है। अर्थात न्यायालय उस व्यक्ति से पूछता है कि वह किस आधार पर इस पद पर कार्यरत है। अतः जिस किसी व्यक्ति द्वारा लोक कार्यालय के अवैध अनाधिकार ग्रहण करने को रोकता है। इसे मंत्रित्व कार्यालय या निजी कार्यालय के लिए जारी नहीं किया जा सकता है। यदि पूरक सार्वजनिक कार्यालयों का निर्माण संवैधानिक हो तब इस रिट को जारी किया जा सकता है।

महात्मा गाँधी (1869-1948) |पुस्तकें|संस्थाये|आन्दोलन |राजनितिक गुरु

mahatma gandhi ka jivan parichay
सत्य, अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधी का जीवन परिचय जानना ही हमारे जीवन के क्या उद्देश्य होने चाहिए इसकी अनुभूति कराते हैं। शान-शौकत का जीवन छोड़कर अर्ध्द नंगे फकीर की भांति जीवन जीने वाले महात्मा गाँधी का जीवन परिचय कौन नहीं जानना चाहेगा। उस महापुरुष ने बिना किसी हथियार के प्रयोग से उस कालखंड की महाशक्ति से भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज भी संपूर्ण विश्व गांधी जी के आदर्शों का लोहा मानता है। दोस्तों आज हम लोग इस लेख में शांति के दूत उनके द्वारा स्थापित संस्थाएं, पुस्तकें,आंदोलन, महत्वपूर्ण घटनाएं, वंशज, जन्म, मृत्यु, आदि के बारे में चर्चा करेंगे।
महात्मा गांधी:-
• मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के काठियावाड़ के पोरबंदर स्थान पर हुआ था।
•महात्मा गांधी Mahatma Gandhi जी के पिता करमचंद गांधी एक कट्टर हिंदू थे जो कि दीवान थे।                                                                         
 • इनका विवाह कस्तूर बाई (कस्तूरबा) के साथ हुआ, उस समय उनकी उम्र मात्र 13 वर्ष थी।
• 18 वर्ष की उम्र में गांधीजी को पुत्र प्राप्ति हुई।

•महात्मा गांधी जी के प्रथम पुत्र का स्वर्गवास हो जाने के बाद उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ति हुई:-

-हरीलाल गांधी (1888)                                                                  -मणिलाल गांधी (1292)
-रामदास गांधी (1897)
-देव दास गांधी (1900)

महात्मा गाँधी

• महात्मा गांधी Mahatma Gandhi ने बैरिस्टरी की पढ़ाई इन्होंने इंग्लैंड से प्राप्त की।       

• 1893 में एक व्यापारी दादा अब्दुल्ला का मुकदमा लड़ने दक्षिण अफ्रीका गए इसी दौरान उन्हें प्रजातिय उत्पीड़न, भेदभाव गोरो द्वारा काले लोगों से रंगभेद आदि के बारे में कटु व्यवहार का अनुभव हुआ।

• रेलवे के प्रथम श्रेणी डिब्बे में डरबन से प्रिटोरिया की यात्रा करते समय इन्हें एक गोरे ने पुलिस की सहायता से मेरित्सबर्ग स्टेशन पर धक्का देकर नीचे उतार दिया। इस घटना ने गांधी जी के जीवन में नया मोड़ ला दिया।

• दक्षिण अफ्रीका में भारतीय तीन वर्गों में संगठित थे:-
-दक्षिण भारत से आए मजदूर
–  गन्ने के खेत में काम करने वाले मजदूर
-मेमन मुसलमान मजदूर
•”एशियाटिक रजिस्ट्रेशन एक्ट” के तहत प्रत्येक भारतीय को दक्षिण अफ्रीका में पंजीकरण प्रमाण पत्र हमेशा पास रखना पड़ता था तथा कर अदा करना होता था।
• पहली सफलता गांधीजी को 1906 में एशियाटिक रजिस्ट्रेशन एक्ट को समाप्त करवाने में प्राप्त हुई ।
1894 में गांधीजी ने अफ्रीका में “नटाल इंडियन” कांग्रेस की स्थापना की तथा कई बार जेल गए।
• 1910 में गांधी जी ने “टाल्सटाय फार्म” की स्थापना अपने एक जर्मन शिल्पकार मित्र “कालेन बाख” की मदद से की।
• दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी द्वारा “इंडियन ओपिनियन” नामक अखबार का प्रकाशन प्रारंभ किया।

• महात्मा गांधी Mahatma Gandhi जी को दक्षिण अफ्रीका में 1914 में अधिकांश काले कानूनों को रद्द कराने में प्रयोग किए गए अहिंसक सत्याग्रह आंदोलन के द्वारा पहली महान सफलता प्राप्त हुई।

* दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी द्वारा 1904 में “फिनिक्स आश्रम” की स्थापना की गई।

• सत्य और अहिंसा का प्रयोग 1906 में करके गांधी जी द्वारा अवज्ञा आंदोलन जिसे “सत्याग्रह” नाम दिया गया प्रारंभ किया।

• गांधी जी द्वारा स्वराज की व्याख्या अपनी पुस्तक “हिंद स्वराज” (1909) में की गई।

•दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों का इकरारनामा समाप्त होने पर उन पर 3 पाउंड का कर लगा दिया जाता था। जिसे रद्द कराने में गांधीजी की अहम भूमिका रही।

•अफ्रीकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र आवश्यक कर दिया। जो केवल ईसाई पद्धति से संपन्न शादियों को प्रदान किया जाता था, अन्य पद्धति से संपन्न शादियां अवैध घोषित मानी गई, जो कि भारतीयों ने अपनी महिलाओं और बच्चों का अपमान समझा को समाप्त कराने में गांधीजी का योगदान रहा।

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•जनवरी 1915 में गांधीजी अफ्रीका से भारत वापस आ गए और “गोपाल कृष्ण गोखले” को अपना राजनीतिक गुरु बनाया।

•प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) में गांधी जी द्वारा लोगों को सेना में भर्ती हेतु इस आशय से प्रेरित किया गया कि युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार स्वराज प्रदान करेंगी इसी कारण गांधी जी को “भर्ती करने वाला सार्जेंट” भी कहा गया।

• गांधी जी द्वारा 1916 में साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) की स्थापना की गई।

• गांधीवादी तरीके (सत्याग्रह) को आजमाने का अवसर गांधी जी को अपने चंपारण आंदोलन (1917) अहमदाबाद मजदूर आंदोलन (1918) तथा खेड़ा आंदोलन (1918) में प्राप्त हुआ।      •महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर 30 जनवरी 1948 को उस समय कर दी गई, जब वह बिरला भवन (बिरला हाउस) में शाम को टहल रहे थे।

चंपारण सत्याग्रह (1917):-

महात्मा गांधी Mahatma Gandhi जी द्वारा भारत में सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग बिहार के चंपारण (1917) में किया गया। •इस आंदोलन का प्रमुख कारण तिनकठिया पद्धति था जिसमें किसानों को अपनी भूमि के कम से कम 3/20 भाग पर नील की खेती करना तथा मालिकों द्वारा निर्धारित दामों पर बेचने का अनुबंध करा लिया गया था।

•जर्मनी में रासायनिक रंग (डाई) का विकास हो गया था। जिसके कारण बागान मालिकों ने नील की खेती बंद कर दी तथा किसान भी इससे छुटकारा चाहते थे। इसी का फायदा उठाकर मालिकों ने इसकी फसल न करने पर किसानों पर लगान व अन्य करो की दरों में वृद्धि कर दी।

• 1917 में चंपारण के किसान “राजकुमार शुक्ला” लखनऊ में गांधी जी से मिले तथा चंपारण आने का आग्रह किया।

• चंपारण मामले की जांच करने में महात्मा गांधी Mahatma Gandhi जी के सहयोगी राजेन्द्र प्रसाद, बृज किशोर, मजहर-उल- हक, नरहरि पारिख, महादेव देसाई, जेबी कृपलानी थे।

• अनुग्रह नारायण सिन्हा, शंभू शरण वर्मा और रामनवमी प्रसाद इस सत्याग्रह से संबंधित अन्य लोकप्रिय नेता थे।

• चंपारण किसानों को हर्जाना दिया जाए तथा गोरे बागान मालिकों द्वारा अवैध वसूली का 25% हिस्सा किसानों को लौटाने पर सहमति बनी।

• गांधी जी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रथम आंदोलन सफलतापूर्वक जीत लिया गया।

“एनजी रंगा” ने महात्मा गांधी के चंपारण आंदोलन का विरोध किया था।
रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा गांधी जी को चंपारण सत्याग्रह के दौरान “महात्मा” की उपाधि प्रदान की गई।

गांधी जी के वंशज
देखा जाए तो महात्मा गांधी जी के वंशज आज भी विश्व के विभिन्न देशों में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं गांधीजी के 4 बेटे व 13 पोते पोतियां थी। जिनके पीढ़ी दर पीढ़ी लगभग 154 सदस्य दुनिया के विभिन्न देशों में निवास कर रहे हैं।