mahatma gandhi ka jivan parichay|पुस्तकें|संस्थाये|आन्दोलन |राजनितिक गुरु |वंशज|महत्वपूर्ण घटनाएँ

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सत्य, अहिंसा के पुजारी Mahatma Gandhi ka jivan Parichay जानना ही हमारे जीवन के क्या उद्देश्य होने चाहिए इसकी अनुभूति कराते हैं। शान-शौकत का जीवन छोड़कर अर्ध्द नंगे फकीर की भांति जीवन जीने वाले Mahatma Gandhi ka jivan Parichay कौन नहीं जानना चाहेगा। उस महापुरुष ने बिना किसी हथियार के प्रयोग से उस कालखंड की महाशक्ति से भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज भी संपूर्ण विश्व गांधी जी के आदर्शों का लोहा मानता है। दोस्तों आज हम लोग इस लेख में शांति के दूत Mahatma Gandhi ka jivan Parichay, उनके द्वारा स्थापित संस्थाएं, पुस्तकें,आंदोलन, महत्वपूर्ण घटनाएं, वंशज, जन्म, मृत्यु, आदि के बारे में चर्चा करेंगे।
महात्मा गांधी:-
• मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के काठियावाड़ के पोरबंदर स्थान पर हुआ था।
•महात्मा गांधी Mahatma Gandhi जी के पिता करमचंद गांधी एक कट्टर हिंदू थे जो कि दीवान थे।                                                                         
 • इनका विवाह कस्तूर बाई (कस्तूरबा) के साथ हुआ, उस समय उनकी उम्र मात्र 13 वर्ष थी।
• 18 वर्ष की उम्र में गांधीजी को पुत्र प्राप्ति हुई।

•महात्मा गांधी जी के प्रथम पुत्र का स्वर्गवास हो जाने के बाद उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ति हुई:-

-हरीलाल गांधी (1888)                                                                  -मणिलाल गांधी (1292)
-रामदास गांधी (1897)
-देव दास गांधी (1900)

mahatma gandhi ka jivan parichay

• महात्मा गांधी Mahatma Gandhi ने बैरिस्टरी की पढ़ाई इन्होंने इंग्लैंड से प्राप्त की।       

• 1893 में एक व्यापारी दादा अब्दुल्ला का मुकदमा लड़ने दक्षिण अफ्रीका गए इसी दौरान उन्हें प्रजातिय उत्पीड़न, भेदभाव गोरो द्वारा काले लोगों से रंगभेद आदि के बारे में कटु व्यवहार का अनुभव हुआ।

• रेलवे के प्रथम श्रेणी डिब्बे में डरबन से प्रिटोरिया की यात्रा करते समय इन्हें एक गोरे ने पुलिस की सहायता से मेरित्सबर्ग स्टेशन पर धक्का देकर नीचे उतार दिया। इस घटना ने गांधी जी के जीवन में नया मोड़ ला दिया।

• दक्षिण अफ्रीका में भारतीय तीन वर्गों में संगठित थे:-
-दक्षिण भारत से आए मजदूर
–  गन्ने के खेत में काम करने वाले मजदूर
-मेमन मुसलमान मजदूर
•”एशियाटिक रजिस्ट्रेशन एक्ट” के तहत प्रत्येक भारतीय को दक्षिण अफ्रीका में पंजीकरण प्रमाण पत्र हमेशा पास रखना पड़ता था तथा कर अदा करना होता था।
• पहली सफलता गांधीजी को 1906 में एशियाटिक रजिस्ट्रेशन एक्ट को समाप्त करवाने में प्राप्त हुई ।
1894 में गांधीजी ने अफ्रीका में “नटाल इंडियन” कांग्रेस की स्थापना की तथा कई बार जेल गए।
• 1910 में गांधी जी ने “टाल्सटाय फार्म” की स्थापना अपने एक जर्मन शिल्पकार मित्र “कालेन बाख” की मदद से की।
• दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी द्वारा “इंडियन ओपिनियन” नामक अखबार का प्रकाशन प्रारंभ किया।

• महात्मा गांधी Mahatma Gandhi जी को दक्षिण अफ्रीका में 1914 में अधिकांश काले कानूनों को रद्द कराने में प्रयोग किए गए अहिंसक सत्याग्रह आंदोलन के द्वारा पहली महान सफलता प्राप्त हुई।

* दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी द्वारा 1904 में “फिनिक्स आश्रम” की स्थापना की गई।

• सत्य और अहिंसा का प्रयोग 1906 में करके गांधी जी द्वारा अवज्ञा आंदोलन जिसे “सत्याग्रह” नाम दिया गया प्रारंभ किया।

• गांधी जी द्वारा स्वराज की व्याख्या अपनी पुस्तक “हिंद स्वराज” (1909) में की गई।

•दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों का इकरारनामा समाप्त होने पर उन पर 3 पाउंड का कर लगा दिया जाता था। जिसे रद्द कराने में गांधीजी की अहम भूमिका रही।

•अफ्रीकी सुप्रीम कोर्ट द्वारा विवाह पंजीकरण प्रमाण पत्र आवश्यक कर दिया। जो केवल ईसाई पद्धति से संपन्न शादियों को प्रदान किया जाता था, अन्य पद्धति से संपन्न शादियां अवैध घोषित मानी गई, जो कि भारतीयों ने अपनी महिलाओं और बच्चों का अपमान समझा को समाप्त कराने में गांधीजी का योगदान रहा।

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•जनवरी 1915 में गांधीजी अफ्रीका से भारत वापस आ गए और “गोपाल कृष्ण गोखले” को अपना राजनीतिक गुरु बनाया।

•प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) में गांधी जी द्वारा लोगों को सेना में भर्ती हेतु इस आशय से प्रेरित किया गया कि युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार स्वराज प्रदान करेंगी इसी कारण गांधी जी को “भर्ती करने वाला सार्जेंट” भी कहा गया।

• गांधी जी द्वारा 1916 में साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) की स्थापना की गई।

• गांधीवादी तरीके (सत्याग्रह) को आजमाने का अवसर गांधी जी को अपने चंपारण आंदोलन (1917) अहमदाबाद मजदूर आंदोलन (1918) तथा खेड़ा आंदोलन (1918) में प्राप्त हुआ।      •महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर 30 जनवरी 1948 को उस समय कर दी गई, जब वह बिरला भवन (बिरला हाउस) में शाम को टहल रहे थे।

चंपारण सत्याग्रह (1917):-

महात्मा गांधी Mahatma Gandhi जी द्वारा भारत में सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग बिहार के चंपारण (1917) में किया गया। •इस आंदोलन का प्रमुख कारण तिनकठिया पद्धति था जिसमें किसानों को अपनी भूमि के कम से कम 3/20 भाग पर नील की खेती करना तथा मालिकों द्वारा निर्धारित दामों पर बेचने का अनुबंध करा लिया गया था।

•जर्मनी में रासायनिक रंग (डाई) का विकास हो गया था। जिसके कारण बागान मालिकों ने नील की खेती बंद कर दी तथा किसान भी इससे छुटकारा चाहते थे। इसी का फायदा उठाकर मालिकों ने इसकी फसल न करने पर किसानों पर लगान व अन्य करो की दरों में वृद्धि कर दी।

• 1917 में चंपारण के किसान “राजकुमार शुक्ला” लखनऊ में गांधी जी से मिले तथा चंपारण आने का आग्रह किया।

• चंपारण मामले की जांच करने में महात्मा गांधी Mahatma Gandhi जी के सहयोगी राजेन्द्र प्रसाद, बृज किशोर, मजहर-उल- हक, नरहरि पारिख, महादेव देसाई, जेबी कृपलानी थे।

• अनुग्रह नारायण सिन्हा, शंभू शरण वर्मा और रामनवमी प्रसाद इस सत्याग्रह से संबंधित अन्य लोकप्रिय नेता थे।

• चंपारण किसानों को हर्जाना दिया जाए तथा गोरे बागान मालिकों द्वारा अवैध वसूली का 25% हिस्सा किसानों को लौटाने पर सहमति बनी।

• गांधी जी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन का प्रथम आंदोलन सफलतापूर्वक जीत लिया गया।

“एनजी रंगा” ने महात्मा गांधी के चंपारण आंदोलन का विरोध किया था।
रविंद्र नाथ टैगोर द्वारा गांधी जी को चंपारण सत्याग्रह के दौरान “महात्मा” की उपाधि प्रदान की गई।

गांधी जी के वंशज
देखा जाए तो महात्मा गांधी जी के वंशज आज भी विश्व के विभिन्न देशों में विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं गांधीजी के 4 बेटे व 13 पोते पोतियां थी। जिनके पीढ़ी दर पीढ़ी लगभग 154 सदस्य दुनिया के विभिन्न देशों में निवास कर रहे हैं।

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